राजा की गिरफ्तारी के मायने (08:27:15

टू जी स्पेक्ट्रम के आबंटन में हुए घोटालों के जिम्मेदार पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा की आखिरकार गिरफ्तारी हो ही गई।

 बुधवार दोपहर ही जैसे राजा की गिरफ्तारी की खबरें आना शुरु हुईं, राजनीतिक, प्रशासनिक और पत्रकारिता जगत में हलचल मचने लगी। विपक्ष और इलेक्ट्रानिक मीडिया की नजरों में यह उनकी सतत जागरूकता व कार्रवाई की मांग करने का अंजाम है, तो यूपीए का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस के मुताबिक भ्रष्टाचार के विरूध्द यह उसकी कड़ाई का परिणाम है। इनसे अलग कैग और सीबीआई जैसी संस्थाओं व सुप्रीम कोर्ट की इसमें भूमिका को भी लगे हाथ श्रेय दिया जा रहा है। सच यह है कि ए.राजा और उनके सहयोगी नौकरशाहों की गिरफ्तारी दरअसल कैग की रिपोर्ट, सीबीआई की जांच और उस पर सुप्रीम कोर्ट की निरंतर निगरानी व फटकार का ही नतीजा है। विपक्ष ने शुरु से इस मुद्दे को अपने राजनीतिक फायदे के लिए भुनाना चाहा और कांग्रेस ने इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की खबर होने के बावजूद लंबे समय तक आरोपियों का बचाव ही किया है। देश के कुछ बड़े पत्रकारों का नाम इस घोटाले से जुड़ा, जो मीडिया के लिए शर्मनाक है। बावजूद इसके मीडिया ने इस समूचे प्रकरण में जिस तत्परता से कवरेज किया, समय-समय पर जनता को उनसे अवगत कराया, उसके लिए अपनी पीठ थपथपाने की कोई आवश्यकता नहींहै, क्योंकि ऐसा करके उसका अपना कर्तव्य ही निभाया है। हां, एक लाख 76 हजार करोड़ के इस घोटाले में जिस तरह मीडिया की संलिप्तता राजनेताओं व कार्पोरेट दलालों के साथ नजर आयी, उसके लिए उसे जरूर आत्मचिंतन करना चाहिए, कि इससे उसकी विश्वसनीयता और साख पर जो प्रशनचिह्न लगेगा, उसका कितना विपरीत असर पड़ेगा।
विपक्षी दल भाजपा ने पहले राजा की गिरफ्तारी को देर से उठाया गया, दुरुस्त कदम बताया और बाद में यह कहा कि इस अकेली गिरफ्तारी से कुछ होने वाला नहींहै। उधर कांग्रेस यह बताने में लगी है कि इससे मनमोहन सिंह सरकार की साख पर कोई असर नहींपड़ेगा और न ही द्रमुक से उसके संबंधों पर। अन्नाद्रमुक की महासचिव जयललिता इस गिरफ्तारी को जनता की आंखों में धूल झोंकने वाली कार्रवाई बता रही हैं और जेपीसी की मांग पर कायम हैं। भाजपा ने भी ऐसे ही संकेत दिए हैं कि आगामी बजट सत्र में वह जेपीसी की मांग उठाएगी ही। जाहिर है यह गिरफ्तारी टू जी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाले का एक अध्याय ही है, पूरी कथा संपन्न होने में अभी और अध्यायों का वाचन बाकी है। कांग्रेस भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस सख्ती का दावा कर रही है, वह वास्तविक लगता अगर इस घोटाले के प्रकाश में आते ही आरोपियों पर नकेल कसनी शुरु हो जाती। लेकिन अपने राजनीतिक हितों के चलते ए.राजा को यूपीए के दूसरे कार्यकाल में भी दूरसंचार मंत्री का पद सौंपा गया, जबकि गड़बड़ियों की खबर पहले कार्यकाल से ही आनी शुरु हो गई थी। कैग की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस अगर ए.राजा से तत्काल इस्तीफा ले लेती, तब भी उसकी सख्ती पर भरोसा होता। किंतु जब तक पानी सिर के ऊपर से नहींगुजरा, कांग्रेस बचाव की मुद्रा में ही दिखी। जननिंदा की कोई चिंता उसने प्रारंभ से नहींकी। तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति सुधारने, सुप्रीमकोर्ट की डांट पड़ने और भ्रष्टाचार के दूसरे गंभीर मामले उजागर होने पर राजनीतिक दृष्टिकोण से ए.राजा की गिरफ्तारी का फैसला लिया गया और वह भी द्रमुक को पूरे विश्वास में लेकर। द्रमुक को भी तमिलनाडु मेंअपनी सत्ता बचाए रखने की चिंता है। इसलिए जब तक संभव हुआ, उसने इस घोटाले को गले में अटकाए रखा, लेकिन अब उगलने या निगलने में से एक का चुनाव करना ही था। संभव है कि ए.राजा, जो करूणानिधि के बेहद करीबी रहे हैं, को चुनावी लाभ के मद्देनजर पार्टी से बाहर का ही रास्ता दिखाया जाए। भाजपा जेपीसी की मांग कर संसद सत्र में अड़ंगा लगाने के अलावा इस मामले का शायद ही कोई राजनीतिक लाभ उठा पाए। अन्नाद्रमुक ने एक वक्त राजा पर कार्रवाई के बदले केंद्र में सरकार को समर्थन देने की बात कही थी, अब उसका क्या रूख रहेगा, यह देखना रोचक होगा। कांग्रेस के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती दिखाने की लड़ाई अभी काफी बाकी है। ए.राजा को मदद पहुंचाने और इस प्रकरण से लाभ लेने वालों की तथा आदर्श सोसायटी व राष्ट्रमंडल खेलों में हुए घोटाले के आरोपियों की जब तक गिरफ्तारी नहींहोती, तब तक किस्सा अधूरा ही रहेगा।
रही बात भ्रष्टाचार के ऐसे मामलों में बड़े नेताओं, मंत्री स्तर के लोगों के लिप्त होने और उन पर कार्रवाई होने की, तो यह कोई अभूतपूर्व घटना नहींहै। लालू प्रसाद चारा घोटाले में, जयललिता तांसी जमीन घोटाले में, गेगांग अपांग पीडीएस में भ्रष्टाचार के आरोप में, मधु कोड़ा आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में और संचार मंत्री रहते हुए सुखराम टेलीकाम घोटाले में जेल जा चुके हैं। विभिन्न राजनैतिक दलों के इन बड़े नेताओं की गिरफ्तारी की घटनाएं जब हुईं, तब यह उम्मीद बंधी कि देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती बरती जा रही है, लेकिन हर नए मामले के साथ यह उम्मीद टूटती गयी। इसलिए ए.राजा की गिरफ्तारी से कोई खास उम्मीद नहींबांधना चाहिए।


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